स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अंग्रेजों की आर्थिक शोषण की नीतियों के कारण देश को खाली खजाना, निरक्षरता और गरीबी मिली। इससे निपटना आसान नहीं था, लेकिन जीवट के धनी भारतीयों ने धीरे-धीरे ही सही आर्थिक स्वावलंबन की राह पकड़ी और आज हम पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। सरकारी नौकरियों और उद्यमों के सहारे आर्थिक प्रगति की शुरुआत कर हम आज स्टार्टअप जैसे स्वरोजगार वह नवाचार के नवीनतम उपक्रम के अगुआ बन रहे हैं। अगर यही है ना भारत इसी तरह बनाए रखें तो अगले 10 सालों में ही भारत हर देश से आगे निकल जाएगा विकास के क्षेत्र में। और भारत भी एक विकसित राष्ट्र कहलाएगा। भारत की तरक्की कितनी अच्छी तरह से हुई है यह चीज हम नीचे दिए गए कंपैरिजन से समझ सकते हैं। 1) जब भारत आजाद हुआ था सन 1947 में तब भारत के सर्वे के अनुसार प्रति व्यक्ति आय सिर्फ ढाई सौ रुपए ही थी मगर आज वह बढ़कर प्रति व्यक्ति आय सरकार के सर्वे के अनुसार 94500रुपए के आस पास हो चुकी है। 2) आजादी के समय भारत का विदेशी मुद्रा भंडार से 951 करोड़ का था मगर आज वह पढ़ कर 36 लाख करोड़ का हो चुका है जो कि भविष्य में और भी बढ़ने क...
आयु में कम, किंतु ज्ञान में असीम थे स्वामी विवेकानंद। राष्ट्र निर्माण को जीवन का उद्देश्य मानने वाले स्वामी विवेकानंद सदैव देश के गौरव और स्वाभिमान को प्राथमिकता में रखा। वह सदा भारत की युवाओं के बीच मातृभूमि भारत भूमि में जन्म लेने के गौरव का आवाहन करते रहे। यही कारण है कि उनकी जयंती 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के तौर पर मनाया जाता है। आज के दौर में भी स्वामी विवेकानंद जी की प्रासंगिकता को बताना मुश्किल है परंतु हम इस आर्टिकल के माध्यम से आप तक कुछ बातें पहुंचाने का प्रयास करेंगे। कृपया इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें। 19वीं सदी के अंतिम दशक में की गई एक भविष्यवाणी भारत अकल्पनीय परिस्थितियों के बीच अगले 50 वर्ष में ही स्वाधीन हो जाएगा सच निकली। यह विश्वास और युवा परिव्राजक स्वामी विवेकानंद का था, जिन्होंने अपने विचारों से उस दौर के समाज को चेतना के उच्च स्तर पर जागृत करने का प्रयास किया, जहां अपनी संस्कृति के प्रति गौरव भाव से ही स्वतंत्र लहरें उछाल मारती है। फिर वह भाव, सामाजिक हो या राजनीतिक, हर उस बंधन को तोड़ने के लिए आजादी की ओर स्वेता उन्मुख होता चला गया। स्वामी विवेकान...